14 May, 2023

शायरी | सन्नाटे की गश्त | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

अर्ज़ है -
सन्नाटे की  गश्त  शुरू होने वाली है
रात और भी ज़्यादा गहराने वाली है
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

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