इक हक़ीक़त की तरह
झूठ वो कहता है सदा,
उसकी रग - रग में
सियासत का लहू बहता है
- डॉ शरद सिंह
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आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 25 नवंबर 2021 को लिंक की जाएगी ....
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
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सशक्त यथार्थांकन !
ReplyDeleteसशक यथार्थांकन !
ReplyDeleteसबसे बड़ा सियासी तो हर इंसान का मन होता है
ReplyDeleteवाह! क्या बात है। झूठे व्यक्ति का व्यक्तित्व होता है।
ReplyDeleteसुंदर सृजन।
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