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30 May, 2023

शायरी | ज़िन्दगी बेलिबास दिखती है | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

अर्ज़ है -
तंग गलियों में देख लो, जा के,
ज़िन्दगी बेलिबास दिखती है।
जिस्म की मंडियों में आलम ये,
एक रोटी पे  रूह बिकती है।
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

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29 May, 2023

शायरी | अब किसी पर भी | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

अर्ज़ है -
अब किसी पर भी नहीं ऐतबार होता है
इश्क़ होता है, महज़  एक बार होता है
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

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28 May, 2023

शायरी | एक परिंदा | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

अर्ज़ है -
एक परिंदा तोड़ के पिंजरा, कौन-सी शय पा जाएगा?
पंख कटे हैं, खुले गगन में कैसे वह उड़ पाएगा?
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

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27 May, 2023

शायरी | हलफ़ उठाती हूं | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

अर्ज़ है -
करूंगी याद नहीं,जब ये  हलफ़ उठाती हूं
तभी  मैं  याद  के  दरिया  में  डूब जाती हूं
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

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26 May, 2023

शायरी | उदास दिन | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

अर्ज़ है -
उदास दिन का हरेक पल बड़ा कठिन गुज़रा
न  जाने  रात के  साए में  क्या  घुटन  होगी।
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

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24 May, 2023

शायरी | हमारी भूल थी | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

अर्ज़ है -
वो बेगानों सा मिलता है बिना शर्मिंदगी के अब
हमारी भूल थी, उसको जो अपना मान बैठे थे
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

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23 May, 2023

शायरी | वो सियासत का सगा जब से हुआ | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

अर्ज़ है -
वो सियासत का सगा जब से हुआ
गांव,  घर,  मां,  बाप   बेगाने लगें। 
कुर्सियों  की   दौड़  में   है  दौड़ता
नेक  बातें  ख़ार-सी  उसको  चुभें।
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

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22 May, 2023

शायरी | क़िस्सा अजब है | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

अर्ज़ है -
सियासत, हुक़ूमत का क़िस्सा अजब है
जो इसका हुआ, वो किसी का न होगा।
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

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21 May, 2023

शायरी | चांद मुझसे करेगा क्यूं बातें | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

अर्ज़ है -
चांद मुझसे  करेगा  क्यूं  बातें 
साथ उसके  तो  चांदनी होगी 
वो अंधेरे  का  दर्द  क्या  जाने  
जिसके दामन में रोशनी होगी 
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

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20 May, 2023

शायरी | रात से ख़्वाब किसलिए मांगूं | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

अर्ज़ है -
रात से ख़्वाब किसलिए मांगूं
नींद  भी  साथ  मांगनी  होगी
अब नहीं नींद की मुझे आदत
नींद  खूंटे   पे   टांगनी   होगी
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

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19 May, 2023

शायरी | छोड़ आए हैं संदेशा | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

अर्ज़ है -
सोचता होगा, रखे वह उंगलियों को भाल पर।
छोड़ आए हैं  संदेशा,  काढ़ कर  रूमाल पर।
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

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शायरी | आंगन देखा | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

अर्ज़ है -
एक आहट को तरसता हुआ आंगन देखा
और कुछ भी तो नहीं, मैंने फ़क़त मन देखा
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

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18 May, 2023

शायरी | याद आती छांह | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

अर्ज़ है -
रास्ते में   धूप   हो  तो  याद  आती छांह 
दूर तारे की तरह फिर झिलमिलाती छांह
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

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17 May, 2023

शायरी | अजीब लोग हैं | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

अर्ज़ है -
अज़ीब लोग हैं, डरते हैं ख़ौफ़ खाते हैं 
दिखे जो आइना ख़ुद से नज़र चुराते हैं
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

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16 May, 2023

शायरी | उसका ख्वाब तो देखा | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

उसको अरसे से न देखा, लेकिन उसका ख़्वाब तो देखा
एक थी फीकी, एक थी गहरी, मेरी क़िस्मत की हर रेखा।
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

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15 May, 2023

शायरी | हक़ीक़त पता है | डॉ (सुश्री) शरद सिंह


अर्ज़ है -
सितारे,  नज़ूमी,  लकीरें   क्या  जानें,
फ़क़त  वक़्त को ही  हक़ीक़त पता है।
कहां   साथ   होगा,  कहां   छूट  जाए,
किसे फिर भी रिश्तों की क़ीमत पता है।
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

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14 May, 2023

शायरी | सन्नाटे की गश्त | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

अर्ज़ है -
सन्नाटे की  गश्त  शुरू होने वाली है
रात और भी ज़्यादा गहराने वाली है
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

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12 May, 2023

शायरी | शाम रात की गहराई में | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

शाम    रात  की  गहराई में  खो जाएगी 
जाते - जाते  टीस  दिलों में बो जाएगी
कुछ की आंखों में सहरा की रेत दिखेगी 
कुछ की आंखों को अश्क़ों से धो जाएगी
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

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10 May, 2023

शायरी | ज़िंदगी का सफ़र | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

अर्ज़ है -
ज़िंदगी का सफ़र तो  सिफ़र ही रहा
कुछ न मैंने कहा, कुछ न उसने कहा
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

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शायरी | सोचा ना था | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

अर्ज़ है - 
तनहाई पे नॉवेल लिक्खा, हिज़र पे भी दीवान लिखा 
जफ़ा* डायरी लिखवाएगी, ये तो हमने सोचा ना था
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

(*जफ़ा = अन्याय, Injustice)

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09 May, 2023

शायरी | मैं जो ख़ामोश हूं | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

अर्ज़ है -
मैं जो ख़ामोश हूं, लगता है बहुत बेहतर हूं
उसे पता ही नहीं, जख़्म- ए- लहू से तर हूं
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

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शायरी | चोट पड़ती है तो पत्थर भी | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

अर्ज़ है -
चोट पड़ती है तो पत्थर भी शोर करता है
फिर तो ये दिल है, ये ख़ामोश रहे तो कैसे?
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

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08 May, 2023

शायरी | लिहाफ़ रात का | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

अर्ज़ है -
लिहाफ़ रात का भीगा हुआ-सा लगता है
हां, चांदनी ने अभी अश्क़ जो बहाया है
बहुत दिनों से नहीं थी सुनी कहानी जो
किसी ने ख़्वाब में आकर मुझे सुनाया है
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

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01 May, 2023

मज़दूर | डॉ (सुश्री) शरद सिंह | शायरी | मज़दूर दिवस

जिस्मानी या रूहानी, 
मज़दूर सभी होते हैं।
पूंजी के बाज़ार में हम
मजबूर सभी होते हैं।
      - डॉ (सुश्री) शरद सिंह

#मजदूरदिवस की शुभकामनाएं 🌹
Happy #labourday 🌹

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