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23 May, 2023

शायरी | वो सियासत का सगा जब से हुआ | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

अर्ज़ है -
वो सियासत का सगा जब से हुआ
गांव,  घर,  मां,  बाप   बेगाने लगें। 
कुर्सियों  की   दौड़  में   है  दौड़ता
नेक  बातें  ख़ार-सी  उसको  चुभें।
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

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