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18 May, 2023

शायरी | याद आती छांह | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

अर्ज़ है -
रास्ते में   धूप   हो  तो  याद  आती छांह 
दूर तारे की तरह फिर झिलमिलाती छांह
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

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