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09 May, 2023

शायरी | मैं जो ख़ामोश हूं | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

अर्ज़ है -
मैं जो ख़ामोश हूं, लगता है बहुत बेहतर हूं
उसे पता ही नहीं, जख़्म- ए- लहू से तर हूं
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

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