कविता
निर्दयी कृष्ण पक्ष
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
चांद का
कटोरा ले कर
रात भटकती रही
रोज़ चार पहर
निर्दयी कृष्ण पक्ष ने
छीन लिया
वह कटोरा भी...
रो रही है रात
तब से,
यक़ीन न हो तो
देख लेना सुबह
दूब पर टिके आंसू।
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