कविता
गुनहगार
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
मुझे जाना था
तुम्हारे साथ
नहीं रह जाना था
यहां अकेले
उसे कैसे कर दूं माफ़
जिसने
क़ैद कर रखा है
इस दुनिया में मुझे
उसे
न माफ़ किया है
न करूंगी...
अपने गुनहगार को
भला कोई करता है माफ़?
-----------------------
#poetryislife #poetrylovers #poetryloving #mypoetry #डॉसुश्रीशरदसिंह #काव्य #कविता #World_Of_Emotions_By_Sharad_Singh #DrMissSharadSingh #poetrycommunity
No comments:
Post a Comment