Swapna Ki Rajai - Poetry of Dr (Miss) Sharad Singh |
प्रिय मित्रो, लीजिए जाड़े पर मेरी एक और कविता...
स्वप्न की रजाई
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- डॉ शरद सिंह
जाड़े की रात ने
सांकल खटकाई
शीत भी दरारों से
सरक चली आई
पक्के मकानों में
उपले, न गोरसी
हीटर के तारों से
लाल तपन बरसी
नींद मगर चाहे
स्वप्न की रजाई
और
कम्बल के धागों में
प्रीत की कताई।
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