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27 November, 2020

स्वप्न की रजाई | कविता | डॉ शरद सिंह

 

Swapna Ki Rajai - Poetry of Dr (Miss) Sharad Singh

प्रिय मित्रो, लीजिए जाड़े पर मेरी एक और कविता...
स्वप्न की रजाई
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- डॉ शरद सिंह

जाड़े की रात ने
सांकल खटकाई
शीत भी दरारों से
सरक चली आई
पक्के मकानों में
उपले, न गोरसी
हीटर के तारों से
लाल तपन बरसी
नींद मगर चाहे
स्वप्न की रजाई
और
कम्बल के धागों में
प्रीत की कताई।
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22 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 27 नवंबर नवंबर नवंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. प्रिय यशोदा अग्रवाल जी,
      यह मेरे लिए प्रसन्नता का विषय है कि आपने मेरी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" में शामिल की है।
      आपको हार्दिक धन्यवाद एवं आभार
      - डाॅ शरद सिंह

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  2. आह ! क्या कहने हैं इस कविता के ! दाद देने के लिए मुनासिब लफ़्ज़ ही नहीं मिल रहे ।

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    1. हार्दिक धन्यवाद जितेन्द्र माथुर जी !!!
      आपकी टिप्पणी मेरे लिए उत्साहवर्द्धक है।

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  3. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (२८-११-२०२०) को 'दर्पण दर्शन'(चर्चा अंक- ३८९९ ) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    --
    अनीता सैनी

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    1. प्रिय अनिता सैनी जी,
      यह मेरे लिए प्रसन्नता का विषय है कि आपने मेरी रचना दर्पण दर्शन'(चर्चा अंक- ३८९९ ) में शामिल की है।
      आपको हार्दिक धन्यवाद एवं आभार !!! चर्चा मंच में शामिल होना सदैव सुखद अनुभूति देता है।
      - डाॅ शरद सिंह

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  4. सुंदर और सामयिक सृजन...।

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    1. हार्दिक धन्यवाद जिज्ञासा सिंह जी !!!
      आपकी टिप्पणी मेरे लिए महत्वपूर्ण है।

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  5. सुन्दर भावनाओं से प्रस्फुटित कविता - - शीतकाल को बहुत सुंदरता से दर्शाया है - - नमन सह।

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    1. हार्दिक धन्यवाद शांतनु सान्याल जी !!!
      उत्साहवर्द्धन हेतु आभार है।

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  6. अत्यंत सुन्दर सृजन शरद जी । शीतकाल का अप्रतिम शब्दचित्र ।

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    1. हार्दिक धन्यवाद मीना भारद्वाज जी 🙏
      सुस्वागतम 💐💐💐

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  7. गुलाबी नर्मी सी ...

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    1. हार्दिक धन्यवाद अमृता तन्मय जी!

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  8. Replies
    1. बहुत-बहुत धन्यवाद यशवन्त माथुर जी!

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  9. वाह!!!
    शीत का सुन्दर एवं सामयिक शब्दचित्रण।
    लाजवाब।

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    1. हार्दिक धन्यवाद अमृता सुधा जी!

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  10. नींद मगर चाहे
    स्वप्न की रजाई
    और
    कम्बल के धागों में
    प्रीत की कताई
    वाह ! क्या कहने ! सरल, सुंदर रचना।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद मीना जी!

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  11. बहुत सुंदर; माधुर्य से भरा सुंदर सृजन।
    मोहक।

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