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14 March, 2013

मैं कहीं रहूं ....


24 comments:

  1. सुन्दर चित्र-लेख
    बढ़िया पंक्तियाँ आदरेया-

    चाहे मथुरा जा बसे, जाय द्वारिका द्वीप |
    होली के हुडदंग में, आये कृष्ण समीप |
    आये कृष्ण समीप, मार पिचकारी गीला |
    छुप छुप मारे टीप, रास आती है लीला |
    किन्तु कालिया-नाग, आज मिलता चौराहे |
    करता अनुचित मांग, खेलना होली चाहे ||

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    1. अत्यन्त आभारी हूं आपकी......विचारों से अवगत कराने के लिए..

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  2. बहुत उम्दा सुंदर प्रस्तुति,,,शरद जी ,,,

    बीबी बैठी मायके , होरी नही सुहाय
    साजन मोरे है नही,रंग न मोको भाय..
    .
    उपरोक्त शीर्षक पर आप सभी लोगो की रचनाए आमंत्रित है,,,,,
    जानकारी हेतु ये लिंक देखे : होरी नही सुहाय,

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    1. आपने मेरी पंक्तियों को पसन्द किया आभारी हूं....

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  3. बेहतरीन रचना,आभार.

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    1. विचारों से अवगत कराने के लिए.. हार्दिक धन्यवाद....

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    1. आपके विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया. हार्दिक धन्यवाद एवं आभार ....

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    1. बहुमूल्य टिप्पणी देने के लिए हार्दिक धन्यवाद!

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  6. जी बहुत खूब ...... हर सवाल का इक जवाब

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    1. आपने मेरी पंक्तियों को पसन्द किया आभारी हूं....

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    1. इस उत्साहवर्द्धन के लिए अत्यन्त आभारी हूं....

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  8. वाह....मेरी हर वजह का जवाब तू ..........

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    1. मेरी पंक्तियों को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आभार....

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  9. मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए हार्दिक आभार, रविकर जी!

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  10. लिंक-लिक्खाड़ में शामिल करते के लिए हार्दिक धन्यवाद...आभार!

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  11. बहुत सुंदर उम्दा प्रस्तुति!

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  12. प्रेम की सर्वोच्च अवस्था ...आनंदित करती, गुदगुदाती रचना ..सादर प्रणाम के साथ

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  13. बहुत ही खुबसूरत सदा की भांति

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  14. आस्था के स्वर -आश्वस्त करती पंक्तियाँ!

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