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08 August, 2012

नाच उठा मन ....


16 comments:

  1. श्रृंगार रस से ओतप्रोत भीनी कविता बधाई

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  2. वाह शरद जी क्या खूब कहा है |खुले आम चोरी सब मौसम का दोष है |आभार |

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  3. आओ, तुमसे तुम्हेँ चुरा लूं
    बनके चोरनी बारिश मेँ
    बहुत सुन्दर...!

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  4. बढ़िया दृश्य-
    पर यह निगेटिव -भाव

    बारिश में रिसिया गया, खिसियाया मनमीत |
    सर्दी खांसी फ्लू से, कौन सका है जीत |
    कौन सका है जीत, रीत श्रैंगारिक कैसी |
    दिखलाया यूँ प्रीत, गई पानी में भैंसी |
    सुबह सुबह का दृश्य, डाक्टर शरद दवा दें |
    डबल डोज खा जाँय, मस्त सी फिजा गवाँ दें ||

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  5. ये चंद पंक्तियों के भाव जितने गहरे हैं , मन को अंतर तक छू गए.

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  6. मन को भीगोती सुंदर रचना ...

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  7. बारिश में मन को चुराती सुंदर प्रस्तुति,,,बधाई शरद जी,,,,
    RECENT POST...: जिन्दगी,,,,

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  8. भावजगत की रिम झिम होती ,सुनो सहेली बारिश में
    नील गगन मस्ताया कैसा देख सहेली बारिश में.

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  9. आदरणीया डॉ शरद जी मनमोहक कविता सावन की हरियाली और झमाझम बारिश में प्रणय गीत... मोर मन झूम उठा ....जय श्री राधे
    भ्रमर ५

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  10. वाह! बहुत सुन्दर.
    श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ.

    शरद जी,समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आकर
    'फालोअर्स और ब्लोगिंग'के सम्बन्ध में मेरा मार्ग दर्शन कीजियेगा,

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  11. क्या लिखू ? ज़रा सोचने दें .

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