मित्रों का स्वागत है - डॉ. (सुश्री) शरद सिंह
वाह ... बहुत खूब।
बहुत सुंदर प्रस्तुति,,,,श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ.RECENT POST...: जिन्दगी,,,,..
bahut sundar prastuti..shabd viyas ke saath saath aap prastuti par bhi kafi dhyan rakhti hain..bahut bahut badhai..
बहुत-बहुत सुन्दर...:-)
सावन में सबके मन भीगे हैं..
आपके लेखा पर कुछ कहना सदैव बहुत कठिन यूँ न बरसकर तुम भिगाओ बारिस की इन बूंदों को .मोती आसमान से झरे हैं या लबों के बीच हैं
Another nice expression.
बारिश उमंगों को पंख दे देती है...
bheegi-bheegi si panktiya barish me....
वाह ... बहुत खूब।
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति,,,,
ReplyDeleteश्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ.
RECENT POST...: जिन्दगी,,,,..
bahut sundar prastuti..shabd viyas ke saath saath aap prastuti par bhi kafi dhyan rakhti hain..bahut bahut badhai..
ReplyDeleteबहुत-बहुत सुन्दर...
ReplyDelete:-)
सावन में सबके मन भीगे हैं..
ReplyDeleteआपके लेखा पर कुछ कहना सदैव बहुत कठिन
ReplyDeleteयूँ न बरसकर तुम भिगाओ बारिस की इन बूंदों को .
मोती आसमान से झरे हैं या लबों के बीच हैं
Another nice expression.
ReplyDeleteबारिश उमंगों को पंख दे देती है...
ReplyDeletebheegi-bheegi si panktiya barish me....
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