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07 August, 2012

यादों की इस बारिश में .....


9 comments:

  1. बारिश हो और यादें दस्तक न दें????
    ख्वाब पूरे हों...सारे के सारे.

    अनु

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  2. खूब बरस गए मेघो से,
    एक कवायत हमने की,
    पूछा यादो की क्यों तुलना,
    हिम-हिमालय से तुमने की।

    गज-बरस कर फिर युँ बोले,
    मैने तो इंत-जाम किया,
    फिखी-फिखी बारिश को,
    ख्वाबों से अंजाम दिया।

    बस क्या था फिर समधर मे,
    रातो की ही शाम हुई,
    लीन हुई सारी महफिल,
    और खूब शरारत मन ने की।

    खूब बरस गए मेघो से,
    एक कवायत हमने की।।

    प्रतीक संचेती द्वारा

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  3. सजा लीजिये जी ....इसमें बुराई भी क्या है ....!

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  4. खूबशूरत है जिंदगी ख़्वाब की तरह
    जाने कब टूट जाए कांच की तरह
    मुझे न भूलना किसी बात की तरह
    दिल में रखना मीठी याद की तरह,,,,,

    बेहतरीन प्रस्तुति,,,,,शरद जी,,,,

    WELCOME TO MY RECENT POST...: जिन्दगी,,,,

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  5. बेहतरीन कविता बधाई

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  6. तन-मन को अच्छी लगें, यादों की बरसात।
    दिन ढलने के बाद ही, आ जाती है रात।।

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  7. सुंदर मुक्तक...

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  8. बहुत खूबसूरत कतआ ...
    सादर।

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  9. आहा ....क्यूँ ना ख्वाब सजा लूँ मैं भी ......./

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