अच्छे लगते हैं
मावसी अंधेरे में
आसमान में टिमटिमाते तारे
जैसी काले क़ाग़ज पर
चमकीली-सफेद स्याही से
लिख दी गई हो
एक प्रेम कविता
जिसे पढ़ नहीं सकते
न चांद, न सूरज
न धरती पर
वृक्ष की छांह में रेंगते
निशाचर कीड़े
न गहरी नींद मेरी में सोते
संदेहाकुल लोग
इसे पढ़ सकते हैं सिर्फ़ वे ही
जो जागते हैं
अपनी-अपनी छत पर
या खिड़की से झांकते
या फिर
दहलान में टहलते
प्रेम में डूबे हुए
पर अकेले
किसी की स्मृतियों को
अपने सीने से लगाए
हां, पढ़ सकते हैं वे ही।
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