कभी देखा है
हथेली पर खिला हुआ
ताज़ा, सुगंधित पुष्प?
नहीं न!
सदा नहीं भीगती
हथेली
सदा नहीं खिलता
पुष्प
किसी-किसी की
हथेली
रह जाती है
पुष्प बिना
जिसमें होती ही नहीं
प्रेम की लकीर
यद्यपि
प्रेम को लकीर नहीं
भावना चाहिए
हथेली पर पुष्प
खिलाने के लिए।
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