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14 June, 2025

कविता | प्रेम होने दो अभिव्यक्त | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

प्रेमकविता :
प्रेम होने दो अभिव्यक्त 
       - डॉ (सुश्री) शरद सिंह

उसने कहा
उससे -
मुझे मत बताओ
कि
तुम्हें प्रेम है मुझसे
क्योंकि प्रेम
सदियों से
दुहराए जाते 
शब्दों से नहीं,
वह तो
व्यक्त होता है
अनुभूति की
राग-रागिनियों से
लय, माधुर्य
आरोह-अवरोह से,
प्रेम होने दो अभिव्यक्त 
भंगिमाओं के 
अलौकिक
पवित्र 
संगीत से
होने दो ध्वनित 
सांसों के तार-वाद्यों को
किसी कंदरा से लौटते
स्वर समूह की तरह
शब्दों के बिना
शब्दशः।     
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