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30 May, 2024

शायरी | सुलगता हुआ | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

रात  भी  गर्म है,  तारों की  चमक  फीकी है,
कल का आगाज़ सुलगता हुआ होगा बेशक़।
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह 

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