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24 August, 2023

प्लीज़ | कविता | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

असंख्य तारे हैं आसमान में
कैसे पहचानूं तुम्हें?
अब करने लगा है व्याकुल
धरती पर बेगानापन
एक संकेत दे दो
टिमटिमा दो
प्लीज़ ...😢
   - डॉ (सुश्री) शरद सिंह

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