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19 December, 2022

शायरी | दग़ा का दाग़ | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

मेरे लिबास पे तारे  थे  टांकने  जिसको
दग़ा का दाग़ वही शख़्स दे गया मुझको
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

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1 comment:

  1. अच्छी जानकारी !! आपकी अगली पोस्ट का इंतजार नहीं कर सकता!
    क्षमा करें अगर मेरी भारतीय भाषा को समझना मुश्किल है
    greetings from malaysia
    द्वारा टिप्पणी: muhammad solehuddin
    शुक्रिया

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