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02 December, 2022

शायरी | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

हमारी  क़िताबों  के  ख़ामोश  पन्ने 
बहुत शोर करते हैं, गर कोई पढ़ ले 
इनमें  हक़ीक़त  की  ऐसी है  मिट्टी 
जो  इंसान  चाहे  नई  रूह  गढ़ ले 
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

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2 comments:

  1. किताबें ज्ञान का भंडार होते हैं लेकिन आज इनकी पूछ-परख कुछ कम हो गयी है तो उनकी उदासी का सबब समझ सकते हैं लिखने वाले

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    1. आपने सही कहा कविता जी!
      बस, ये अच्छा है कि जो एकबार किताबें पढ़ने से जुड़ जाता है, फिर किताबों का साथ कभी नहीं छोड़ता।

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