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23 October, 2021

शब्द-शक्ति | कविता | डॉ शरद सिंह

शब्द-शक्ति
    - डॉ शरद सिंह
शब्द 
शब्द को दुत्कारते हैं
शब्द 
शब्द को पुचकारते हैं
शब्द 
शब्द को बचाते हैं
शब्द 
शब्द से निभाते हैं
शब्द 
शब्द को चुराते हैं
शब्द 
शब्द को पकड़वाते हैं
शब्द 
शब्द को उठाते हैं
शब्द 
शब्द को गिराते हैं
शब्द 
शब्द को नचाते हैं
शब्द 
शब्द को घुमाते हैं
शब्द 
शब्द का रास्ता बदलते हैं
शब्द 
शब्द के साथ चलते हैं
शब्द
शब्द से प्रेम निभा देते हैं
शब्द
शब्द से झगड़ा करा देते हैं
शब्द 
शब्द को ज़िंदगी देते हैं
शब्द 
शब्द की जिंदगी लेते हैं
शब्दों को
दरकार नहीं ध्वनि की
लिखे हुए शब्द
शब्द ही नहीं
इंसानी-धड़कन भी
बंद करा देते हैं
न्यायाधीश की
कलम की नोंक
टूटने के बाद।
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3 comments:

  1. सुकृतिम् !

    तुम्हीं शब्द हो , तुम्हीं अर्थ हो , तुम्हीं हो गति , लय मधुरिम तान !
    तुम्हीं तेज हो , तुम्हीं ओज हो , तुम्हीं तमस ऋतु , तुम्हीं विहान !!

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  2. बहुत ही उम्दा आदरणीय मैम!

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  3. बहुत ही सुन्दर शब्द शक्ति
    वाह!!!

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