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30 January, 2021

मृतक कथाएं | डाॅ (सुश्री) शरद सिंह | नवगीत संग्रह | आंसू बूंद चुए

Dr (Miss) Sharad Singh

नवगीत

मृतक कथाएं

- डाॅ सुश्री शरद सिंह


घिसी हथेली की रेखाएं

जाने कहां-कहां ले जाएं।


घर के बाहर

सिर के ऊपर

सूरज बिना तपन

अंगुल-अंगुल

उभर गया अब

मन का सूनापन


अपनेपन का दाग़ दिखा कर

रिश्ते किरच हो जाएं।



कल की बातें

सपन दिखाते

जाने गईं किधर

पोर-पोर में

रचे-बसे हैं

सूखे फूल इतर


नेह डायरी के पृष्ठों पर

लिखी हुई हैं मृतक कथाएं।

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(मेरे नवगीत संग्रह ‘‘आंसू बूंद चुए’’ से)


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4 comments:

  1. नेह डायरी के पृष्ठों पर

    लिखी हुई हैं मृतक कथाएं।..मर्म स्पर्शी रचना..

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    1. बहुत शुक्रिया जिज्ञासा सिंह जी 🌹🙏🌹

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  2. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन  में" आज सोमवार 01 फरवरी 2021 को साझा की गई है.........  "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. बेहतरीन रचना आदरणीया

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