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24 September, 2020

मेरी पलक से । ग़ज़ल । डाॅ शरद सिंह

 

Ab Sochati Hun .. Ghazal of Dr (Miss) Sharad Singh

मेरी पलक से ... ग़ज़ल

- डाॅ शरद सिंह


मेरी पलक से ख़्वाब का काजल चुरा लिया।

रातों को  जागने की सज़ा  यूं सुना दिया।


वो शख़्स इस क़दर है ख़फ़ा, क्या बताऊं मैं

लिक्खी हुई  ग़ज़ल पे  सियाही गिरा दिया।


तनहाइयों की  राह में  चलती  ये ज़िन्दगी

इक हमसफ़र की चाह ने मीलों चला दिया।


मेरे खि़लाफ़ दर्ज़  मुक़द्दमा है  इन दिनों

अब सोचती हूं, आईना क्यूं कर दिखा दिया।

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6 comments:

  1. मेरे खि़लाफ़ दर्ज़ मुक़द्दमा है इन दिनों
    अब सोचती हूं, आईना क्यूं कर दिखा दिया।
    - क्या बात है। प्रभावी और बेहतरीन भाव संयोजन। बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीया।

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    1. हार्दिक धन्यवाद पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा जी 🙏

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  2. बहुत ख़ूब शरद जी ! बहुत अच्छी ग़ज़ल है यह ।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद जितेन्द्र माथुर जी 🙏

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  3. Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद डॉ जेन्नी शबनम जी 🙏

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