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21 September, 2020

कविता । एक पत्थर । डाॅ शरद सिंह

 

Ek Patthar - Poetry of Dr (Miss) Sharad Singh

एक पत्थर

दरक जाती हैं भावनाएं

बिखर जाते हैं शब्द

कांच की तरह 

टूट कर,

जब 

उस पर फेंकता है कोई

छल-छद्म का एक 

पत्थर

मुस्कुराहट के मुखौटे 

तले

अपनत्व का लबादा ओढ़ कर

विश्वास की ओट से।

- डाॅ शरद सिंह

11 comments:

  1. Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद जितेन्द्र माथुर जी 🙏

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  2. भावनाओं में छद्म के लिए कोई स्थान नहीं
    बहुत अच्छी प्रस्तुति

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    1. हार्दिक धन्यवाद कविता रावत जी 🙏

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  3. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 23 सितंबर 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. अत्यंत सुखद !!!
      मेरी रचना को ब्लॉग ‘पांच लिंकों का आनन्द’ में सम्मिलित करने के लिए हार्दिक धन्यवाद एवं आभार पम्मी सिंह ‘तृप्ति’ जी !!!

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  4. वाह, बहुत ख़ूब शरद ❤🙏❤

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  5. बहुत ही सुंदर सराहना से परे अभिव्यक्ति दी।
    सादर

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    1. हार्दिक धन्यवाद अनिता सैनी जी 🙏

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  6. वाह! बहुत सुंदर अभिव्यक्ति!

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद विश्वमोहन जी 🙏

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