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28 December, 2018
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08 December, 2018
04 December, 2018
दरख़्तों का साया - डॉ शरद सिंह
दरख़्तों का साया रहेगा जो सर पे
न पैरों में छाले पड़ेंगे सफ़र पे
- डॉ शरद सिंह
#SharadSingh #Shayari #Ghazal
#World_Of_Emotions_By_Shar ad_Singh
न पैरों में छाले पड़ेंगे सफ़र पे
- डॉ शरद सिंह
#SharadSingh #Shayari #Ghazal
#World_Of_Emotions_By_Shar
30 November, 2018
डॉ शरद सिंह का जन्मदिन 2018
Dr Sharad Singh Birthday 2018 - 1 |
29.11.2018 ... Yesterday evening... Me, My Birthday Cake ... and My Didi Dr Varsha Singh.
IT was a surprise party by my a loving friend ...
Dr Sharad Singh Birthday 2018 - 2 |
Dr Sharad Singh Birthday 2018 - 3 |
Dr Sharad Singh Birthday 2018 - 4 |
Dr Sharad Singh Birthday 2018 - 5 |
Dr Sharad Singh Birthday 2018 - 6 |
Dr Sharad Singh Birthday 2018 - 7 |
Dr Sharad Singh Birthday 2018 - 8 |
Dr Sharad Singh Birthday 2018 - 9 |
Dr Sharad Singh Birthday 2018 - 10 |
Dr Sharad Singh Birthday 2018 - 11 |
Dr Sharad Singh Birthday 2018 - 12 |
Dr Varsha Singh in Dr Sharad Singh Birthday 2018 - 13 |
Dr Sharad Singh Birthday 2018 - 14 with Dr Varsha Singh |
Dr Sharad Singh Birthday 2018 - 15 with Dr Varsha Singh |
Dr Sharad Singh Birthday 2018 - 16 with Dr Varsha Singh |
Dr Sharad Singh Birthday 2018 - 17 Dr Varsha Singh with |
Dr Sharad Singh Birthday 2018 - 18 with Dr Varsha Singh |
Dr Varsha Singh in Dr Sharad Singh Birthday 2018 - 19 |
Dr Varsha Singh in Dr Sharad Singh Birthday 2018 - 20 |
Dr Sharad Singh Birthday 2018 - 21 |
Dr Sharad Singh Birthday 2018 - 23 |
Dr Sharad Singh Birthday 2018 - 24 |
Dr Sharad Singh Birthday 2018 - 25 |
Dr Sharad Singh Birthday 2018 - 26 |
22 November, 2018
करवटों का हिसाब भी पूछो - डॉ शरद सिंह
16 November, 2018
13 November, 2018
वो भी तो मां का बच्चा है - डॉ शरद सिंह
Poetry of Dr (Miss) Sharad Singh on Children's Day |
वो भी तो मां का बच्चा है
- डॉ शरद सिंह
जो नन्हा, मुन्ना होता है लगता वो मन को अच्छा है
जो गुदड़ी में ही सोता है वो भी तो मां का बच्चा है
उसके भी हाथों में हों खेल-खिलौने
उसकी आंखों में भी हों स्वप्न सलोने
वो जो गंदे फुटपाथों पर घुटनों-घुटनों चलता है
जो हंसता है न रोता है, वो भी तो मां का बच्चा है
उसने भी जन्म लिया है इस दुनिया में
उसने क्या जुर्म किया है इस दुनिया में
वो जो कूड़े-कचरे से, बस, पन्नी बीना करता है
जो घर का जिम्मा ढोता है,वो भी तो मां का बच्चा है
अब मिल जाये उसको भी उसका बचपन
वह भी खेले, पढ़े और छू पाए गगन
वो जो विद्यालय के आगे बेरी बेचा करता है
जो दुख में सुख को बोता है,वो भी तो मां का बच्चा है
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बचपन - डॉ शरद सिंह
Poetry of Dr (Miss) Sharad Singh |
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जब पहाड़ छोटे हो जाएं
और नदियां सिकुड़ जाएं
हाथ उठाकर टूटने लगें बेरी से बेर
बिना पंजों पर खड़े हुए
बनने लगे सामान उठाते
अलमारी के ऊंचे खाने से
बिना स्टूल पर चढ़े
पहुंच बनने लगे ऊंचाई पर रखे
उस मर्तबान तक
जिसमें मां छुपा कर
रखा करती थी बिस्कुट और मिठाइयां
बस, तभी समझ लेना चाहिए
कि छूट चुका है बचपन बहुत पीछे।
- डॉ शरद सिंह
08 November, 2018
07 November, 2018
06 November, 2018
रूप चौदस से दमकती रात्रि हो ... डॉ शरद सिंह
Dr (Miss) Sharad Singh in Roop Chaturdashi |
Dr (Miss) Sharad Singh in Roop Chaturdashi |
दीप की दुनिया यूं ही रहती रहे
रूप चौदस से दमकती रात्रि हो
रश्मि अपनी नवकथा कहती रहे
- डॉ. शरद सिंह
Dr (Miss) Sharad Singh in Roop Chaturdashi |
Dr (Miss) Sharad Singh in Roop Chaturdashi |
Dr (Miss) Sharad Singh in Roop Chaturdashi |
05 November, 2018
02 November, 2018
Seven Dohe (Poetry) of Dr (Miss) Sharad Singh on Voter Awareness published in Navbharat Newspaper in all Madhya Pradesh Edition |
http://www.navabharat.com/epaper/index.php?pgno=7
हार्दिक आभार "नवभारत" 🙏
मतदाता जागरूकता के दोहे
- डॉ. (सुश्री) शरद सिंह
सब कामों को छोड़कर करना है मतदान।
रखना है हमको सदा लोकतंत्र का मान।।
जाति धर्म सब भूलकर निर्णय करे समाज।
होगा खूब विकास फिर होंगे सारे काज।।
विज्ञापन या व्हाट्सएप्प, ये क्या देंगे राय।
खुद को जो अच्छा लगे, वहीं चुना बस जाय।।
शोर शराबे से कभी, मत होना कंफ्यूज़।
जो लालच या धौंस दे, करना उसे रिफ्यूज़।।
इक-इक मत है कीमती, यह मत जाना भूल ।
वोटिंग पावर आज है, सबसे बड़ा उसूल।।
शासन मन का चाहिए, तो लो कदम उठाए ।
चिड़िया जो चुग जाएगी, क्या होगा पछताए ।।
'शरद' करे विनती यही, करिएगा मतदान।
दुनिया भी देखे ज़रा, इस जनमत की शान।।
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# Voter_Awareness #Dohe
Seven Dohe (Poetry) of Dr (Miss) Sharad Singh on Voter Awareness published in Navbharat Newspaper in all Madhya Pradesh Edition, 02.11.2018 |
30 October, 2018
ये गुब्बारे - डॉ. शरद सिंह
Dr (Miss) Sharad Singh with Balloons |
धार हवा की सहते हैं ये गुब्बारे
रंगों की ये बांध पोटली कांधे पर
भीतर-भीतर दहते हैं ये गुब्बारे
बंधे हुए हैं पर इनको परवाह नहीं
अपनी रौ में बहते हैं ये गुब्बारे
बच्चे, बूढ़े, युवा कहीं कोई भी हो
सब के मन को गहते हैं ये गुब्बारे
किसी हसीं सपने के जैसे लगते हैं
‘शरद’ धूप मे उड़ते हैं ये गुब्बारे
- डॉ. शरद सिंह