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30 October, 2018

ये गुब्बारे - डॉ. शरद सिंह

Dr (Miss) Sharad Singh with Balloons
सुनो ज़रा क्या कहते हैं ये गुब्बारे
धार  हवा  की  सहते हैं  ये गुब्बारे

रंगों की ये बांध पोटली  कांधे पर
भीतर-भीतर  दहते  हैं  ये गुब्बारे

बंधे हुए हैं पर इनको परवाह नहीं
अपनी रौ  में  बहते  हैं ये  गुब्बारे

बच्चे, बूढ़े, युवा कहीं कोई भी हो
सब के मन को गहते हैं ये गुब्बारे

किसी हसीं सपने के जैसे लगते हैं
‘शरद’ धूप मे उड़ते हैं  ये गुब्बारे

                             - डॉ. शरद सिंह



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