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26 November, 2010

पलकों में रोती लड़की

54 comments:

  1. छोटी सी कविता में लडकी की पूरी ज़िंदगी समा गयी है ..बहुत अच्छी रचना

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  2. हार्दिक धन्यावाद,संगीता स्वरुप जी!

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  3. Nanhi si kavita mein nanhi si bachhi ka chitra ise jivant kar diya hai.Bahut hi sundar abhivyakti.Plz. visit my blog.

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  4. हार्दिक धन्यावाद,प्रेम सरोवर जी!

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  5. चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी इस रचना का लिंक मंगलवार 30 -11-2010
    को दिया गया है .
    कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..

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  6. सच.... दिल से निकली कविता है..... उत्तम भाव जो बड़े आम होकर भी खास बन पड़े हैं....यक़ीनन लड़की का यही हाल है....

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  7. बहुत सुंदर ...अंतिम शेर सबसे प्यारा लगा !

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  8. bahut hi badhiyaa ... juden vatvriksh se , bhejiye apni rachna parichay aur tasweer ke saath rasprabha@gmail.com per

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  9. जीवंत प्रस्तुति ...
    चलते -चलते पर आपका स्वागत है

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  10. बहुत अच्छा वर्णन एक लड़की की जिंदगी का ......मेरे ब्लॉग तक आने के लिए ..मेरा हौसला बदने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद...

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  11. बहुत ही सुन्दर और रसमयी रचना……………बधाई।

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  12. बहुत ही सुन्दर कविता. शुभकामनाएं

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  13. लड़की की जीवन यात्रा की काव्यमय झांकी सुन्दर लगी।

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  14. सुन्दर चित्रण... आभार.

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  15. नेट भी कैसा माध्यम है...कब किससे मिला दे कहा नही जा सकता . आपसे सामने से तो नही मिली पर यहाँ मिल कर अच्छा लगा. रचना पसंद आई.बधाई .

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  16. हार्दिक धन्यावाद,डॉ॰ मोनिका शर्मा !

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  17. हार्दिक धन्यावाद,मीनू जी!

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  18. हार्दिक धन्यावाद,वन्दना जी!मेरे ब्लॉग से जुड़ने के लिए हार्दिक धन्यवाद!

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  19. थोड़े में ही पूरी झलक दे दी एक मासूम लड़की की.सुंदर चित्रण.

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  20. हार्दिक धन्यावाद,अनामिका जी!मेरे ब्ग पर इसी तरह आती रहें।

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  21. मोहसिन जी,हार्दिक धन्यावाद।

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  22. हबीब जी़,आपको बहुत धन्यवाद!

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  23. धीरेन्द्र सिंह,हार्दिक धन्यावाद।

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  24. मंजुला जी,आपको बहुत धन्यवाद!

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  25. केवल राम जी,हार्दिक धन्यावाद।

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  26. होठों पर हंसी दिखती है , पलकों में रोती लड़की ...
    थोड़ी बड़ी नहीं , बहुत- बहुत बड़ी हुई लड़कियों की भी यही गाथा है !

    बहुत सुन्दर रचना !

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  27. क्या न कहूं, इस लड़की के लिए। चौका-चूल्हा और इत्ती सी लड़की। वाह भी आह भी। सरल सुंदर रचना के लिए बधाई। आपसे मिलकर अच्छा लगा।

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  28. palko me roti ladki.......saral aur sunder rachna.......yathartha ko abhivyakt karte hue........
    "hothon par haseen aur palko me roti ladki, saamanya ladki se jyada sunder lagti hai"...yahit to uska abhushan hai....!!!

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  29. अनुपमा पाठक जी,हार्दिक धन्यावाद।

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  30. देवेन्द्र जी,आपको बहुत धन्यवाद!

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  31. आपके ब्लॉग पर पहली बार आया, आना व्यर्थ नहीं गया. खूब लिखा इस छोटी लड़की के बारे में.

    अभी फोलो करना चुरू कर रहा हूँ आपके ब्लॉग को..

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  32. सारी दुनिया पा लेती है रातों को सोती लडकी !!!!
    शरद जी ! मै कितनी खुश हूँ आप मिल गई ! अभी कथाक्रम में आपको खूब निहारा था !मन ही मन सराहा था जब आप भाषा पर बोल रही थी ! आप से बहुत सी बाते करनी है !मेरी कविता पसंद आई आपको बहुत बहुत आभारी हूँ ! मेरे ब्लॉग को अपना लीजियेगा ! फ़िलहाल यह मार्मिक कविता जहाँ बच्ची सोने में ही खुश है .दुनिया उसके पीछे ही पड़ जाती है !आखिर क्यों ...सवाल है ! इसीलिए हम आभारी हैं की आप ऐसे सवाल करें !

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  33. उषा राय जी, मेरे ब्लॉग पर आने के लिए हार्दिक धन्यवाद! इसी तरह तारतम्य बनाएं रखें, सम्वाद क़ायम रखें।

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  34. मनोज जी,आपको बहुत धन्यवाद! इसी तरह सम्वाद बनाएं रखें।

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  35. रिश्ते नाते संबंधों में खुद को है खोती लड़की !
    वाह शरद जी,
    आपकी कविता तो गागर में सागर है !
    -ज्ञानचंद मर्मज्ञ

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  36. ज्ञानचंद मर्मज्ञ जी,आपको बहुत धन्यवाद! इसी तरह सम्वाद बनाएं रखें।

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  37. गिरीश पंकज जी, हार्दिक धन्यवाद! इतने दिन कहां थे?

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  38. पहली बार आपके व्लाग पर आयाऔर बहुत खुबसूरत कविता पढने की मिली सार्थक पोस्ट , बधाई

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  39. सुनील कुमार जी, मेरे ब्लॉग पर आने के लिए हार्दिक धन्यवाद! इसी तरह तारतम्य बनाएं रखें, सम्वाद क़ायम रखें।

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  40. जब अपने अज्ञात प्रवास से लौटकर ब्लाँग जगत मे आया तो काँफी कुछ बदला हुआ नजर आया , वैसे मै टिप्पणी मे क्याँ लिखूँ जहाँ स्वयं संगिता पुरी और गिरीश पंकज जैसे कलम के योद्धा मौजूद होँ ,
    एक बार ईटिप्स ब्लाँग पर जरुर आयेँ ।

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  41. ईटिप्स ब्लाँग टीम को हार्दिक धन्यवाद!सम्वाद क़ायम रखें।

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  42. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ...

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  43. हार्दिक धन्यावाद, मृदुला प्रधान जी!

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  44. राजेश जी,आपको बहुत धन्यवाद!

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  45. inn ladkiyon ka kuch kiya jaaye? bechaini hoti hai... kab tak badlenge inke din. lekh mein , kavitayon mein, mancho par... filon mein kab tak ... DR. Kuch kiya jaaye.. mother Teresa ki tarah...aapki kavita pash kar bahut bhauk hoon... meri problem hai.. mere bhav aate jaate nahi rahte..bane rahte hain..

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  46. आनन्द जी, आपकी चिन्ता वाज़िब है। आप चाहें तो आप भी बहुत कुछ कर सकते हैं। घर-परिवार की बेटियों को उनके सपने पूरे करने में सहायता कीजिए। यह एक अच्छी शुरुआत होगी।

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  47. This comment has been removed by the author.

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  48. शाण्डिल्य रवि जी,
    मेरे ब्लॉग पर आने तथा अपने विचारों से अवगत कराने के लिए हार्दिक धन्यवाद! इसी तरह तारतम्य बनाएं रखें, सम्वाद क़ायम रखें।

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  49. सचिन जी,
    मेरे ब्लॉग पर आने के लिए हार्दिक धन्यवाद!
    इसी तरह तारतम्य बनाएं रखें, सम्वाद क़ायम रखें।

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