पृष्ठ

मेरी कुछ ग़ज़लें





ऐसे भी हैं पत्थर लोग


47 comments:

  1. कथाक्रम महोत्सव में सुनने के बाद ब्लॉग पर नेट पर ढूँढ़ा तो पाया कि आप तो ग़ज़ल भी लिखती हैं....! आती रहूँगी..!

    सादर

    ReplyDelete
  2. prastuti ko aapne purn samagrata se samane rakha hai.Phir aunga.Mere blog par aapka intajar rahega.Dhanyavad.

    ReplyDelete
  3. बहुत खूबसूरत गज़ल ....और पहला अशआर भी सुन्दर ....आप हर क्षेत्र में अच्छा लिखती हैं ..

    ReplyDelete
  4. Sharad ji aap gajab ka likhati hain...... bahut sundar

    ReplyDelete
  5. बहुत खूबसूरत गज़ल, अच्छा लिखती हैं,आप

    ReplyDelete
  6. Khubsurat gazal,khubsurat ehsaas...khubsurat chitran....aap bahut accha likhti hain...sadhuvaad.

    ReplyDelete
  7. ☀ कंचन जी,
    ☀ प्रेम सरोवर जी,
    ☀ संगीता स्वरुप ( गीत )जी,
    ☀ Punjabi Sms Shayari

    मेरी गज़ल को पसन्द किया....हार्दिक आभार...
    आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद।

    ReplyDelete
  8. sumeet "satya"ji,

    Thank you for visiting my blog!
    I feel honored by your comment.

    ReplyDelete
  9. कुश्वंश जी,
    मेरी गज़ल को पसन्द किया....हार्दिक आभार...

    ReplyDelete
  10. विजय रंजन जी,
    आपने मेरी गज़ल को पसन्द किया आभारी हूं।
    हार्दिक धन्यवाद! सम्वाद क़ायम रखें।

    ReplyDelete
  11. उत्कृष्ट लेखन के साथ-साथ प्रस्तुतीकरण भी लाजवाब.
    जारी रहें. पढ़ते रहने का मन रहेगा.
    --
    व्यस्त हूँ इन दिनों-विजिट करें

    ReplyDelete
  12. अमित के सागर जी,
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है!
    इसी तरह अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराते रहें।

    ReplyDelete
  13. मैडम बहुत अच्छा लिखते हो आप ,,,,आज आपकी लिखी बाते पढकर मुझे ...बहुत कुछ याद आ गया .....एसे ही लिखते रहो .........................!!!!

    ReplyDelete
  14. वाह वाह वाह...डा. साहिबा, आपके ब्लॉग पर तो बहुत कुछ मिल गया. खासकर बहर-ओ-फ़न के पैमाने में ढलीं खूबसूरत ग़ज़लें दिल को छू गईं...सिलसिला जारी रखिएगा...शुक्रिया.

    ReplyDelete
  15. शुभ जी,
    आपने मेरी गज़ल को पसन्द किया आभारी हूं।
    हार्दिक धन्यवाद! सम्वाद क़ायम रखें।

    ReplyDelete
  16. शाहिद मिर्ज़ा शाहिद जी,
    मेरी गज़ल को पसन्द किया....हार्दिक आभार...
    इसी तरह अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराते रहें।

    ReplyDelete
  17. मनु जी,
    बहुत बहुत धन्यवाद।
    मेरी गज़ल को पसन्द करने के लिए हार्दिक आभार...
    इसी तरह अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराती रहें।

    ReplyDelete
  18. आपकी ग़ज़लें और कवितायेँ पढ़कर बहुत आनंद आया.
    आशा है आगे भी उत्तम रचनाएँ पढने को मिलेंगी....
    आभार!

    ReplyDelete
  19. 'साहिल' जी,
    बहुत बहुत धन्यवाद।
    मेरी गज़ल को पसन्द करने के लिए हार्दिक आभार...
    इसी तरह अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराते रहें।

    ReplyDelete
  20. ब्लॉग का प्रस्तुतिकरण और पोस्ट की गई रचनाएँ वाकई अच्छी हैं......

    सफ़ल रचनात्मक प्रयास के लिए बधाई................

    ReplyDelete
  21. हर्ष जी,
    बहुत बहुत धन्यवाद।
    इसी तरह अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराते रहें।

    ReplyDelete
  22. नदियाँ सूखी,सागर प्यासा, खुश्क हवाएं दौड़ रही पानी की भी कदर न जाने ,ऐसे भी है पत्थर लोग.... बहुत ही खूबसूरत,हालात के मद्दे नज़र...भौतिक रूप से भी,रूहानी तौर पर भी....

    ReplyDelete
  23. अंजू जी,
    आपने मेरी गज़ल को पसन्द किया आभारी हूं।
    हार्दिक धन्यवाद! सम्वाद क़ायम रखें।

    ReplyDelete
  24. दोनों ही ग़ज़लें कमाल है!

    ReplyDelete
  25. संदीप शीतल चौहान जी,
    बहुत बहुत धन्यवाद।
    मेरी गज़लों को पसन्द करने के लिए हार्दिक आभार...
    इसी तरह अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराती रहें।

    ReplyDelete
  26. "Sabut Ghar ke tukde -tukde tod rahen hain kuoonkar log "
    behtreen ashaar aapke ,
    kah rahe zazbaat aapke ,
    veerubhai .

    ReplyDelete
  27. वीरूभाई जी,
    आपने मेरी गज़ल को पसन्द किया आभारी हूं।
    हार्दिक धन्यवाद! सम्वाद क़ायम रखें।

    ReplyDelete
  28. Doctor Sahiba
    Gadya aur padya dono par samaanadhikar,Ap bahut sunder likhati hain aur utani hee sundar bhavabhivyakti. subhkamanaayen

    ReplyDelete
  29. behtarin ..aaj hi maine bhi jaan ki aap shero shayri mein bhi dilchaspi rakhti hain

    ReplyDelete
  30. एस एन शुक्ला जी,
    आपने मेरी गज़ल को पसन्द किया... हार्दिक धन्यवाद !
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है...

    ReplyDelete
  31. डॉ आशुतोष मिश्रा आशु जी,
    यह जानकर सुखद अनुभूति हुई कि आपको मेरी गज़ल पसन्द आई।
    हार्दिक धन्यवाद! सम्वाद बनाए रखें।

    ReplyDelete
  32. बहुत ही खूबसूरत अभिव्यक्ति

    ReplyDelete
  33. bahut sunder or dil ko chune wali gazal hain aapki....bahut achha laga yahan aa ker...

    ReplyDelete
  34. Sharad Ji,

    Beautiful and true thoughts about moindless carelessness of some people..

    keep on writing!!

    Ashu

    ReplyDelete
  35. Sharad Ji,

    Beautiful and true thoughts about moindless carelessness of some people..

    keep on writing!!

    Ashu

    ReplyDelete
  36. Miss Sharad Ji! I appreciate your Blog, Poems, Write-ups & Ghazals etc., all are really very Beautiful and I like it. I would like to please visit my Blog - Tumchhulo (http://tumchhulo.blogspot.com) and post your comments.
    Dr. Ashok Madhup (Geetkar),
    NOIDA.

    ReplyDelete
  37. शरद जी नमस्कार, सुन्दर गजल--बहुत गरीबी है बस्ती मे--------------

    ReplyDelete
  38. bahut sundar shabd aur utani hi marmik bhavna....

    ReplyDelete
  39. ‘‘बहुत गरीबी है बस्ती में, फटेहाल हैं ख्वाब जहाँ,
    नींद ढूँढ़ते हैं रातों को, बने हुए खुद बिस्तर लोग।’’
    क्या बात है, इस एक शेर पर बार-बार वाह! सचमुच आज आपके ब्लाग पर आकर मैंने बहुत अच्छा किया, उम्दा लिखती हैं आप। आपकी रचनाओं को पढ़कर उपलब्धि के होने का अहसास हो रहा है। बहुत सी शुभकामनाएँ आपके लिए।

    ReplyDelete
  40. डॉ.शरद जी पहले की भाति आज भी आपके ग़ज़ल पर क्या
    कहूँ बस एक .......
    आप सभी विधाओं में बहुत खुबसूरत लिखती हैं .
    अच्छे लोग अच्छी बातें ही लिखते हैं .
    ऐसा मत समझिये की जब आपकी अभिव्यक्ती कमजोर
    होगी तो भी आपकी प्रसंशा की जाएगी
    .वाकई आप सशक्त लेखनी की मालकिन हैं .

    ReplyDelete
  41. मैंने गज़ल पर एक आलेख लिखा है , " हिन्दी गज़ल - तब और अब " इसे आप पढिए , आपको अच्छी लगेगी । आपकी गज़लें मुझे बहुत अच्छी लगी किन्तु मेरा मन ' अनुभूति ' में अटका हुआ है । समयाभाव के कारण , मुझे अपने लोभ का संवरण करना पड रहा है ।
    क्या मुझे अनुभूति नहीं मिल सकती ?
    shaakuntalam.blogspot.com

    ReplyDelete
  42. सादगी और अभिव्यक्ति का सुन्दर सम्मिश्रण ...

    ReplyDelete
  43. जिन नारियों का आत्मविश्वास डगमगा रहा है , जो अपने आप को कमजोर समझ रहीं हैं , वह इस गीत को पढ़कर एक जोश अपने में भर लें ......................

    कोमल है कमजोर नहीं तू ,
    शक्ति का नाम ही नारी है !
    जग को जीवन देने बाली ,
    मौत भी तुझसे हारी है !
    सतियों के नाम पे तुझे जलाया ,
    मीरा के नाम पे जहर पिलाया
    सीता जैसी अग्नि परीक्षा ,
    आज भी जग में जारी है !
    कोमल है कमजोर नहीं तू , शक्ति का नाम ही नारी है
    इल्म , हुनर में, दिल दिमाग में ,
    किसी बात में कम तो नहीं
    पुरुषों बाले सारे ही,
    अधिकारों की अधिकारी है !
    बहुत हो चुका अब मत सहना ,
    तुझे इतिहास बदलना है !
    नारी को कोई कह ना पाए ,
    अबला है बेचारी है !
    कोमल है कमजोर नहीं तू , शक्ति का नाम ही नारी है

    ReplyDelete
  44. तो आप ग़ज़ल भी कहती हैं । ये दोनों ही ग़ज़लें छोटी लेकिन दिल को छू लेने वाली हैं ।

    ReplyDelete