वाह वाह वाह...डा. साहिबा, आपके ब्लॉग पर तो बहुत कुछ मिल गया. खासकर बहर-ओ-फ़न के पैमाने में ढलीं खूबसूरत ग़ज़लें दिल को छू गईं...सिलसिला जारी रखिएगा...शुक्रिया.
नदियाँ सूखी,सागर प्यासा, खुश्क हवाएं दौड़ रही पानी की भी कदर न जाने ,ऐसे भी है पत्थर लोग.... बहुत ही खूबसूरत,हालात के मद्दे नज़र...भौतिक रूप से भी,रूहानी तौर पर भी....
Miss Sharad Ji! I appreciate your Blog, Poems, Write-ups & Ghazals etc., all are really very Beautiful and I like it. I would like to please visit my Blog - Tumchhulo (http://tumchhulo.blogspot.com) and post your comments. Dr. Ashok Madhup (Geetkar), NOIDA.
‘‘बहुत गरीबी है बस्ती में, फटेहाल हैं ख्वाब जहाँ, नींद ढूँढ़ते हैं रातों को, बने हुए खुद बिस्तर लोग।’’ क्या बात है, इस एक शेर पर बार-बार वाह! सचमुच आज आपके ब्लाग पर आकर मैंने बहुत अच्छा किया, उम्दा लिखती हैं आप। आपकी रचनाओं को पढ़कर उपलब्धि के होने का अहसास हो रहा है। बहुत सी शुभकामनाएँ आपके लिए।
डॉ.शरद जी पहले की भाति आज भी आपके ग़ज़ल पर क्या कहूँ बस एक ....... आप सभी विधाओं में बहुत खुबसूरत लिखती हैं . अच्छे लोग अच्छी बातें ही लिखते हैं . ऐसा मत समझिये की जब आपकी अभिव्यक्ती कमजोर होगी तो भी आपकी प्रसंशा की जाएगी .वाकई आप सशक्त लेखनी की मालकिन हैं .
मैंने गज़ल पर एक आलेख लिखा है , " हिन्दी गज़ल - तब और अब " इसे आप पढिए , आपको अच्छी लगेगी । आपकी गज़लें मुझे बहुत अच्छी लगी किन्तु मेरा मन ' अनुभूति ' में अटका हुआ है । समयाभाव के कारण , मुझे अपने लोभ का संवरण करना पड रहा है । क्या मुझे अनुभूति नहीं मिल सकती ? shaakuntalam.blogspot.com
जिन नारियों का आत्मविश्वास डगमगा रहा है , जो अपने आप को कमजोर समझ रहीं हैं , वह इस गीत को पढ़कर एक जोश अपने में भर लें ......................
कोमल है कमजोर नहीं तू , शक्ति का नाम ही नारी है ! जग को जीवन देने बाली , मौत भी तुझसे हारी है ! सतियों के नाम पे तुझे जलाया , मीरा के नाम पे जहर पिलाया सीता जैसी अग्नि परीक्षा , आज भी जग में जारी है ! कोमल है कमजोर नहीं तू , शक्ति का नाम ही नारी है इल्म , हुनर में, दिल दिमाग में , किसी बात में कम तो नहीं पुरुषों बाले सारे ही, अधिकारों की अधिकारी है ! बहुत हो चुका अब मत सहना , तुझे इतिहास बदलना है ! नारी को कोई कह ना पाए , अबला है बेचारी है ! कोमल है कमजोर नहीं तू , शक्ति का नाम ही नारी है
कथाक्रम महोत्सव में सुनने के बाद ब्लॉग पर नेट पर ढूँढ़ा तो पाया कि आप तो ग़ज़ल भी लिखती हैं....! आती रहूँगी..!
ReplyDeleteसादर
prastuti ko aapne purn samagrata se samane rakha hai.Phir aunga.Mere blog par aapka intajar rahega.Dhanyavad.
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत गज़ल ....और पहला अशआर भी सुन्दर ....आप हर क्षेत्र में अच्छा लिखती हैं ..
ReplyDeletenice...
ReplyDeleteSharad ji aap gajab ka likhati hain...... bahut sundar
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत गज़ल, अच्छा लिखती हैं,आप
ReplyDeleteKhubsurat gazal,khubsurat ehsaas...khubsurat chitran....aap bahut accha likhti hain...sadhuvaad.
ReplyDelete☀ कंचन जी,
ReplyDelete☀ प्रेम सरोवर जी,
☀ संगीता स्वरुप ( गीत )जी,
☀ Punjabi Sms Shayari
मेरी गज़ल को पसन्द किया....हार्दिक आभार...
आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद।
sumeet "satya"ji,
ReplyDeleteThank you for visiting my blog!
I feel honored by your comment.
कुश्वंश जी,
ReplyDeleteमेरी गज़ल को पसन्द किया....हार्दिक आभार...
विजय रंजन जी,
ReplyDeleteआपने मेरी गज़ल को पसन्द किया आभारी हूं।
हार्दिक धन्यवाद! सम्वाद क़ायम रखें।
उत्कृष्ट लेखन के साथ-साथ प्रस्तुतीकरण भी लाजवाब.
ReplyDeleteजारी रहें. पढ़ते रहने का मन रहेगा.
--
व्यस्त हूँ इन दिनों-विजिट करें
अमित के सागर जी,
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है!
इसी तरह अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराते रहें।
मैडम बहुत अच्छा लिखते हो आप ,,,,आज आपकी लिखी बाते पढकर मुझे ...बहुत कुछ याद आ गया .....एसे ही लिखते रहो .........................!!!!
ReplyDeleteवाह वाह वाह...डा. साहिबा, आपके ब्लॉग पर तो बहुत कुछ मिल गया. खासकर बहर-ओ-फ़न के पैमाने में ढलीं खूबसूरत ग़ज़लें दिल को छू गईं...सिलसिला जारी रखिएगा...शुक्रिया.
ReplyDeleteशुभ जी,
ReplyDeleteआपने मेरी गज़ल को पसन्द किया आभारी हूं।
हार्दिक धन्यवाद! सम्वाद क़ायम रखें।
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद जी,
ReplyDeleteमेरी गज़ल को पसन्द किया....हार्दिक आभार...
इसी तरह अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराते रहें।
bahut khoobsurat gazal.........
ReplyDeleteमनु जी,
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद।
मेरी गज़ल को पसन्द करने के लिए हार्दिक आभार...
इसी तरह अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराती रहें।
आपकी ग़ज़लें और कवितायेँ पढ़कर बहुत आनंद आया.
ReplyDeleteआशा है आगे भी उत्तम रचनाएँ पढने को मिलेंगी....
आभार!
'साहिल' जी,
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद।
मेरी गज़ल को पसन्द करने के लिए हार्दिक आभार...
इसी तरह अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराते रहें।
ब्लॉग का प्रस्तुतिकरण और पोस्ट की गई रचनाएँ वाकई अच्छी हैं......
ReplyDeleteसफ़ल रचनात्मक प्रयास के लिए बधाई................
हर्ष जी,
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद।
इसी तरह अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराते रहें।
नदियाँ सूखी,सागर प्यासा, खुश्क हवाएं दौड़ रही पानी की भी कदर न जाने ,ऐसे भी है पत्थर लोग.... बहुत ही खूबसूरत,हालात के मद्दे नज़र...भौतिक रूप से भी,रूहानी तौर पर भी....
ReplyDeleteअंजू जी,
ReplyDeleteआपने मेरी गज़ल को पसन्द किया आभारी हूं।
हार्दिक धन्यवाद! सम्वाद क़ायम रखें।
दोनों ही ग़ज़लें कमाल है!
ReplyDeleteसंदीप शीतल चौहान जी,
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद।
मेरी गज़लों को पसन्द करने के लिए हार्दिक आभार...
इसी तरह अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराती रहें।
"Sabut Ghar ke tukde -tukde tod rahen hain kuoonkar log "
ReplyDeletebehtreen ashaar aapke ,
kah rahe zazbaat aapke ,
veerubhai .
वीरूभाई जी,
ReplyDeleteआपने मेरी गज़ल को पसन्द किया आभारी हूं।
हार्दिक धन्यवाद! सम्वाद क़ायम रखें।
Doctor Sahiba
ReplyDeleteGadya aur padya dono par samaanadhikar,Ap bahut sunder likhati hain aur utani hee sundar bhavabhivyakti. subhkamanaayen
behtarin ..aaj hi maine bhi jaan ki aap shero shayri mein bhi dilchaspi rakhti hain
ReplyDeleteएस एन शुक्ला जी,
ReplyDeleteआपने मेरी गज़ल को पसन्द किया... हार्दिक धन्यवाद !
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है...
डॉ आशुतोष मिश्रा आशु जी,
ReplyDeleteयह जानकर सुखद अनुभूति हुई कि आपको मेरी गज़ल पसन्द आई।
हार्दिक धन्यवाद! सम्वाद बनाए रखें।
बहुत ही खूबसूरत अभिव्यक्ति
ReplyDeletebahut sunder or dil ko chune wali gazal hain aapki....bahut achha laga yahan aa ker...
ReplyDeleteSharad Ji,
ReplyDeleteBeautiful and true thoughts about moindless carelessness of some people..
keep on writing!!
Ashu
Sharad Ji,
ReplyDeleteBeautiful and true thoughts about moindless carelessness of some people..
keep on writing!!
Ashu
Miss Sharad Ji! I appreciate your Blog, Poems, Write-ups & Ghazals etc., all are really very Beautiful and I like it. I would like to please visit my Blog - Tumchhulo (http://tumchhulo.blogspot.com) and post your comments.
ReplyDeleteDr. Ashok Madhup (Geetkar),
NOIDA.
शरद जी नमस्कार, सुन्दर गजल--बहुत गरीबी है बस्ती मे--------------
ReplyDeletebahut sundar shabd aur utani hi marmik bhavna....
ReplyDelete‘‘बहुत गरीबी है बस्ती में, फटेहाल हैं ख्वाब जहाँ,
ReplyDeleteनींद ढूँढ़ते हैं रातों को, बने हुए खुद बिस्तर लोग।’’
क्या बात है, इस एक शेर पर बार-बार वाह! सचमुच आज आपके ब्लाग पर आकर मैंने बहुत अच्छा किया, उम्दा लिखती हैं आप। आपकी रचनाओं को पढ़कर उपलब्धि के होने का अहसास हो रहा है। बहुत सी शुभकामनाएँ आपके लिए।
डॉ.शरद जी पहले की भाति आज भी आपके ग़ज़ल पर क्या
ReplyDeleteकहूँ बस एक .......
आप सभी विधाओं में बहुत खुबसूरत लिखती हैं .
अच्छे लोग अच्छी बातें ही लिखते हैं .
ऐसा मत समझिये की जब आपकी अभिव्यक्ती कमजोर
होगी तो भी आपकी प्रसंशा की जाएगी
.वाकई आप सशक्त लेखनी की मालकिन हैं .
मैंने गज़ल पर एक आलेख लिखा है , " हिन्दी गज़ल - तब और अब " इसे आप पढिए , आपको अच्छी लगेगी । आपकी गज़लें मुझे बहुत अच्छी लगी किन्तु मेरा मन ' अनुभूति ' में अटका हुआ है । समयाभाव के कारण , मुझे अपने लोभ का संवरण करना पड रहा है ।
ReplyDeleteक्या मुझे अनुभूति नहीं मिल सकती ?
shaakuntalam.blogspot.com
सादगी और अभिव्यक्ति का सुन्दर सम्मिश्रण ...
ReplyDeletebahut acha
ReplyDeleteजिन नारियों का आत्मविश्वास डगमगा रहा है , जो अपने आप को कमजोर समझ रहीं हैं , वह इस गीत को पढ़कर एक जोश अपने में भर लें ......................
ReplyDeleteकोमल है कमजोर नहीं तू ,
शक्ति का नाम ही नारी है !
जग को जीवन देने बाली ,
मौत भी तुझसे हारी है !
सतियों के नाम पे तुझे जलाया ,
मीरा के नाम पे जहर पिलाया
सीता जैसी अग्नि परीक्षा ,
आज भी जग में जारी है !
कोमल है कमजोर नहीं तू , शक्ति का नाम ही नारी है
इल्म , हुनर में, दिल दिमाग में ,
किसी बात में कम तो नहीं
पुरुषों बाले सारे ही,
अधिकारों की अधिकारी है !
बहुत हो चुका अब मत सहना ,
तुझे इतिहास बदलना है !
नारी को कोई कह ना पाए ,
अबला है बेचारी है !
कोमल है कमजोर नहीं तू , शक्ति का नाम ही नारी है
तो आप ग़ज़ल भी कहती हैं । ये दोनों ही ग़ज़लें छोटी लेकिन दिल को छू लेने वाली हैं ।
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