स्त्री पाठ
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
एक स्त्री में
कभी पढ़ो
एक स्त्री को
दुर्गा सप्तशती की तरह
तब एहसास होगा
एक स्त्री में
देवीत्व का।
कभी देखो एक स्त्री को
मंगलदीप में प्रदीप्त
बाती की तरह
तब दिखेगा रूप
एक स्त्री में
देवीत्व का।
कभी सोचो एक स्त्री को
अपने पवित्र विचारों
की तरह
तब महसूस होगा
एक स्त्री में
देवीत्व का।
किसी एक नवरात्रि में
पहचानना सीखो तो
एक स्त्री को
पुरुषवादी चश्मा उतार कर।
तब कहना-
'यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः'।।
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