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31 July, 2024

कथासम्राट प्रेमचंद पर डॉ (सुश्री) शरद सिंह की ग़ज़ल

कथासम्राट प्रेमचंद को समर्पित एक ग़ज़ल..
🙏इक मशाल था जिसका लेखन🙏
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

गोबर,घीसू,माधव, हामिद,होरी एवं धनिया।
प्रेमचंद के जरिए इनसे मिल पाई है दुनिया।

प्रेमचंद ने कथाजगत को वह तबका दिखलाया।
जिसका शोषण करते आए सदियों ठाकुर, बनिया।

रात पूस की ठंडी हो कर कैसे जलती आई
कैसे बिना दवा दम तोड़े इक ग़रीब की मुनिया।

प्रेमचंद ने 'कफ़न' कहानी में यथार्थ लिख डाला
दारूखोरों के घर तड़पे एक अभागी तिरिया।

इक मशाल था जिसका लेखन उसको"शरद" नमन है
प्रेमचंद थे भावनाओं के इक सच्चे कांवरिया।
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2 comments:

  1. बहुत ही सुंदर शरद जी! प्रेमचंद जी के अविस्मरणीय पात्रों की बरबस याद दिला दी आपने! उनका लेखन अपने समय के जी जीवंत दस्तावेज हैं! साहित्य सम्राट की पुण्य स्मृति को कोटि -कोटि नमन 👌👌🙏

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  2. कथा-सम्राट को स्मरण करने का सम्भवतः इससे उत्तम ढंग नहीं हो सकता। उत्कृष्ट सृजन, निस्संदेह !

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