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14 May, 2024

शायरी | ख़बरें | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

अख़बार में होती हैं फ़क़त भीड़ की ख़बरें
तन्हाई के ज़ख़्मों की ख़बर ही नहीं बनती।
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

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