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08 February, 2024

शायरी | ख़्वाब | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

नींद के खेत में  करवट  की  फ़सल आई है
और कुछ ख़्वाब नुमायां हैं बिजूका बन कर
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

शायरी | ख़्वाब | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

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