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04 December, 2023

शायरी | कभी नहीं आया | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

हमें चराग़  जलाना  कभी  नहीं आया
यही वज़्ह कि अंधेरों ने है तरस खाया
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
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