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18 December, 2023

शायरी | झूठ | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

तुम्हारे झूठ भी सच मान कर चलने लगे थे,
मगर अब सच कहोगे तो यक़ीं कर ना सकेंगे।
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

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