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01 December, 2023

शायरी | आजकल | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

आजकल कुछ हो गया हालात को
स्याह लगती पूर्णमासी  आजकल।
कंदराएं  अब  भली  लगने लगीं
हो गया मन आदिवासी आजकल।
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

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