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06 August, 2023

शायरी | मंज़िल | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

हम तो  बहता  पानी ठहरे
अपनी  राह  बना  ही लेंगे।
बाधाएं तुम खड़ी करो, पर
हम तो मंज़िल तक पहुंचेंगे।
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

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