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29 April, 2023

ग़ज़ल | इक भरम था | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

इक भरम था ख़्वाब का, वो भी मगर
नींद   रूठी,  साथ  अपने   ले   गई ।
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

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