पृष्ठ

17 April, 2023

मैं उनकी ग़ज़लों की ज़बरदस्त फैन रही हूं - डॉ (सुश्री) शरद सिंह

उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो 
न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए 
- शायर बशीर बद्र 
#यादें और #यादों  के #उजाले ...
 ये पुरानी तस्वीर... सागर में एक कवि सम्मेलन - मुशायरे के दौरान अपने पसंदीदा शायर डॉ बशीर बद्र जी के साथ मंच शेयर करने का सौभाग्य मिला था ... यह तस्वीर उसी समय की... मैं उनकी ग़ज़लों की ज़बरदस्त फैन रही हूं ...और आज भी हूं।  ग़ज़लों की  अदायगी भी बहुत प्रभावी रहती थी...
ग़ज़लों को आम बोलचाल की भाषा में कहना और हिंदी, उर्दू, अंग्रेजी का बहुत ही सहजता से प्रयोग करना ...यही उनकी ग़ज़लों की खूबी मुझे हमेशा अच्छी लगी...
    उनका एक और शेर जो सफ़र के दौरान मुझे हमेशा याद आया करता है - 
    दालानों की धूप छतों की शाम कहां
    घर के बाहर  घर जैसा  आराम कहां
🌹
#डॉबशीरबद्र #शायर #बशीरबद्र #शायरी #डॉसुश्रीशरदसिंह #bashirbadr #DrBashirBadr #shayari 
 #DrMissSharadSingh

No comments:

Post a Comment