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11 January, 2023

शायरी | वो क्या समझेगा | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

अर्ज़ है -
शायरी
वो क्या समझेगा दिल को, जज़्बातों को
जिसने दौलत, शोहरत को *तरजीह दिया
जीने  का   तो   हुनर   वही   बतलायेगा
जिसने शाम-ओ-सहर हमेशा ज़हर पिया
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
(*तरजीह = प्राथमिकता)

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