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13 December, 2022

शायरी | मावठ की बारिश | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

शायरी
मावठ* की बारिश पड़ती है, 
हम ख़ुश होते हैं
उनकी सोचें जो फुटपाथों 
पर ही सोते हैं।
       - डॉ (सुश्री) शरद सिंह
(*मावठ - जाड़े की बारिश जो  फसल के लिए अच्छी मानी जाती है।)

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1 comment:

  1. आदरणीया मैम, बहुत ही भावपूर्ण शायरी । सच है , किसी भी ऋतु की खुशियाँ केवल सक्षम लोग ही मना सकते हैं , परंतु आश्रयहीन फूटपाठ पर सोने वाले गरीबों के लिए कोई भी ऋतु खुशी लेकर नहीं आती । काश कि हम इन सब लोगों के लिए कुछ कर पाते । सादर नमन ।

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