मित्रों का स्वागत है - डॉ. (सुश्री) शरद सिंह
ग़ज़ल / शायरी
दिल पर पत्थर रख कर जीना, ये भी कोई जीना है? कोई मुझे बताये आख़िर कितने आंसू पीना है?
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
अनुत्तरित प्रश्न है प्रिय शरद जी।जीवन में अधिक दर्द इसे बोझिल बना देता है।
अनुत्तरित प्रश्न है प्रिय शरद जी।जीवन में अधिक दर्द इसे बोझिल बना देता है।
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