पृष्ठ

20 May, 2022

ग़ज़ल | यादों को उसकी | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

यादों को उसकी भुलाना कठिन है
हथेली पे  सरसों  उगाना कठिन है
मुद्दत  से   देखा  नहीं  है  भले ही
ज़ेहन से उसको मिटाना कठिन है।
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

#ghazal #शेर #shayrilove
 #Literature #डॉसुश्रीशरदसिंह #ग़ज़ल #sharadsingh #ShayariLovers
#World_Of_Emotions_By_Sharad_Singh #यादों_को_उसकी #यादें #भुलाना #मुद्दत #ज़ेहन #मिटाना #कठिन_है 

2 comments:

  1. स्पर्श नहीं , ना दृष्टि उठी , ना अधर हिले , ना मुखमंडल पर भाव खिले ।
    ना हर्ष , विषाद , ना आतुरता , बस........

    ReplyDelete
  2. उसको कैसे भूल जाऊं ,
    दृग उठे ना जिसके दरस को ।
    चोरी-चोरी निहारा उसको ,
    निहारा उसकी मुदन , हरष को ।।

    ReplyDelete