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29 April, 2022

कविता | @कंडीशन | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

कविता
@कंडीशन
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

बहुत है कोलाहल
जीवन में,
शब्दों और ध्वनियों का
सघन समुच्चय
फिर भी मन के 
निर्वात परिसर में
पसरी हुई निःशब्दता
करती है प्रतीक्षा
एक वॉयस-कॉल की
क्योंकि 
पागल मन
सोच लेता है
कि पूरा होगा
एक आश्वासन
जो 
दिया गया
दफ़्तरी अंदाज़ मेंं
कि - समय मिलते ही 
देख ली जाएगी फाईल 
निपटा दिया जाएगा केस 
सुलझा दी जाएगी समस्या 
...पर समय मिलते ही !
@कंडीशन...
कर ली जाएगी बात
लगा लिया जाएगा फ़ोन
समय मिलते ही...

वादा नहीं
सो, दोष नहीं
कोई गुंजाइश नहीं
उलाहने की

दोषी है कोई यदि
तो
वह
बावरा मन
जो मान बैठा
सदाशयता को
उम्मीद,
जबकि
उम्मीदें तो होती ही हैं
टूटने के लिए।
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#उम्मीद #दोषी #आश्वासन #कोलाहल #ध्वनि #कंडीशन #टूटने

3 comments:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(३०-०४ -२०२२ ) को
    'मैंने जो बून्द बोई है आशा की' (चर्चा अंक-४४१६)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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  2. वो आशा कभी नहीं होगी , जो टूटे और बिखर जाए....

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