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20 March, 2022

अंत नहीं शुरुआत नहीं | ग़ज़ल | डॉ शरद सिंह | नवभारत


 "नवभारत" के रविवारीय परिशिष्ट में आज 20.03.2022 को "अंत नहीं शुरुआत नहीं" शीर्षक ग़ज़ल प्रकाशित हुई है। आप भी पढ़िए...
हार्दिक धन्यवाद #नवभारत 🙏
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ग़ज़ल
अंत नहीं शुरुआत नहीं
- डाॅ. (सुश्री) शरद सिंह

कैसे लिख दें  राम-कहानी, लिखने वाली बात नहीं।
नभ-गंगा  हैं  भीगी  आंखें, पानी भरी परात  नहीं।

समय-डाकिया लाया अकसर, बंद लिफाफा क़िस्मत का
जिसमें से बाधाएं निकलीं, निकली पर  सौगात नहीं।

तलवों में  है  दग्ध-दुपहरी, माथे पर  झुलसी शामें,
जी लें जिसमें  पूरा जीवन,  नेहमयी  वह रात नहीं।

तेज हवा ने  तोड़ गिरा दी, लदी आम की डाल यहां
अपना आपा याद रख सके, इतनी भी अभिजात नहीं।

उमस रौंदती है  कमरे को, तनहाई  जिसमें  ठहरी
ऊंघ रही दीवारें  अब तक,  सपनों की बारात नहीं।

नुक्कड़ के कच्चे ढाबे में, उपजे प्यालों की खनखन
मुक्ति दिला दे जो विपदा से, ऐसा भी संधात नहीं।

अपना भावी, निरपराध ही,  दण्ड झेलता दिखता है
लिखने को अक्षर ढेरों हैं, क़लम नहीं, दावात नहीं।

शबर-गीत हैं शर-धनुषों में, कपट नहीं, छल-छद्म नहीं
भोले-भाले भील-हृदय में, चुटकी भर प्रतिघात नहीं।

टूटे  तारे  के  संग  ढेरों  सम्वेदन  जुड़  जाते हैं
बिना राह से फिसले लेकिन,  होता उल्कापात  नहीं।

शिविर समूहों में खोजा है,  खोजा है  अख़बारों में
मिले हज़ारों लेखन-जीवी,  मिला नहीं हमज़ात कोई।

खण्ड काव्य है, महाकाव्य है और न कोई गीत-ग़ज़ल
चूड़ी  जैसी  पीर  हमारी,  अंत नहीं, शुरुआत  नहीं।

गिर पड़ते हैं अर्ध्य सरीखे,  अंजुरी  जैसी  आंखों  से
‘शरद’ आंसुओं को पीने में,  इतनी भी  निष्णात नहीं।

(निष्णात = माहिर)

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4 comments:

  1. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (21 मार्च 2022 ) को 'गौरैया का गाँव में, पड़ने लगा अकाल' (चर्चा अंक 4375 ) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:01 AM के बाद आपकी प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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  2. संस्पर्शी कृति !

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  3. बहुत अच्छी और सुंदर गज़ल

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