एक आवाज़
- डॉ शरद सिंह
भरी दोपहर में
बादल छाए आज
गरजे भी, बरसे भी
छा गया अंधेरा
कमरे के एक कोने में
सिकुड़ कर बैठी मैं
करती रही प्रतीक्षा
कि आएगी एक आवाज़
देगी उलाहना मुझे-
क्यों नहीं जलाई लाईट?
कितना अंधेरा हैं कमरे में...
या फिर कहेगी-
चलो, बाहर बैठें, बरामदे में
चाय बनाऊं?
कुछ खाओगी?
या फिर पूछेगी वह आवाज़-
डर तो नहीं रहा है हमारा बेटू
बादल गरजने से?
देख, तेरी दीदू तेरे पास है...
ये तो थी बिन मौसम बरसात
क्या होगा
असली बारिश में?
जबकि-
बादल गरजते रहे
पानी बरसता रहा
गहन अंधेरे में
डूबा रहा कमरा
नहीं आई कोई आवाज़
तरसते रहे कान
सुनने के लिए
दुनिया की सबसे मीठी, मधुर आवाज़
दुलार, प्यार और मनुहार भरी आवाज़
नहीं आई,
सन्नाटा चीरता रहा कलेजे को
रिसता रहा लहू
ताज़्जुब !
कि फिर भी ज़िंदा हूं मैं
उस एक आवाज़ के इंतज़ार में
स्याह अंधेरे कोने में सिमटी हुई।
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भावनाओं का गहरा उद्गार..... उद्वेलित कर गई। ।।।। बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।।।।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा जी 🙏
Deleteनमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (31-05-2021 ) को 'नेता अपने सम्मान के लिए लड़ते हैं' (चर्चा अंक 4082) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
चर्चा मंच में मेरी कविता को स्थान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद रविंद्र सिंह यादव जी 🙏
Deleteहार्दिक आभार🙏🙏
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ReplyDeleteगहन रचना।
ReplyDeleteबहुत शुक्रिया संदीप कुमार शर्मा जी 🙏
Deleteयादें पीछा कहां छोडती हैं?
ReplyDeleteजी हां, सुशील कुमार जोशी जी आपने सही कहा- यादें पीछा नहीं छोड़ती।
Deleteआपको हार्दिक धन्यवाद 🙏
स्मृतियाँ तो दस्तक देती रहती हैं । सुन्दर रचना।
ReplyDeleteनिसंदेह ....
Deleteहार्दिक धन्यवाद उर्मिला सिंह जी 🙏
स्मृतियाँ धूमिल होने में भी काफी वक्त लेती हैं ! मन की पीड़ा व्यक्त करती रचना
ReplyDeleteजी हां...
Deleteधन्यवाद गगन शर्मा जी 🙏
हर शब्द में आपका दर्द झलक रहा है शरद जी, आपकी हर ताजा रचना संवेदनाओं का अदीठ सागर है ।
ReplyDeleteप्रभु धैर्य दें आपको।
हृदय स्पर्शी सृजन।
हार्दिक धन्यवाद कुसुम कोठारी जी 🙏
Deleteउफ्फ । बहुत गहरा सन्नाटा,महसूस कर सकती हूं, ईश्वर इस दर्द को सहने की शक्ति दे आपको ।
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद जिज्ञासा सिंह जी 🙏
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