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16 May, 2021

आंकड़ें कभी सांस नहीं लेते | कविता | डॉ शरद सिंह

आंकड़ें कभी सांस नहीं लेते
              - डॉ शरद सिंह
इन दिनों
सूखी हुई है
नदी नींद की

आंसुओं के साथ भाप बन चुका है
सारा पानी
स्वप्न पड़े हैं तलछठ में
कंंकड़, पत्थर और मृत घोंघों की तरह

रेत के कणों में
दब कर रह गई आकांक्षाएं
बुझ जाएंगी
किसी टूटे तारे की तरह
पृथ्वी घूमती रहेगी अपनी  धुरी पर
अमीर और अमीर
ग़रीब और ग़रीब होते रहेंगे
दस्तावेज़ों पर शर्णार्थियों की तरह
जुड़ जाएगा एक और कॉलम
कोरोना से हुए अनाथों का

और कुछ नहीं बदलेगा
कहीं भी
सिवा इसके कि
अनेक जीवित इंसान
बदल चुके होंगे
मृतकों के आंकड़ों में
न नाम, न पता, सिर्फ़ आंकड़ें

आंकड़ें कभी सांस नहीं लेते
और न ही देखते हैं स्वप्न।
         -------------

#शरदसिंह #डॉशरदसिंह #डॉसुश्रीशरदसिंह
#SharadSingh #Poetry #poetrylovers
#World_Of_Emotions_By_Sharad_Singh

6 comments:

  1. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (17-05-2021 ) को 'मैं नित्य-नियम से चलता हूँ' (चर्चा अंक 4068) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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  2. मेरी कविता को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए हार्दिक आभार रवीन्द्र सिंह यादव जी 🙏

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  3. सिवा इसके कि
    अनेक जीवित इंसान
    बदल चुके होंगे
    मृतकों के आंकड़ों में
    न नाम, न पता, सिर्फ़ आंकड़ें

    आंकड़ें कभी सांस नहीं लेते
    और न ही देखते हैं स्वप्न।

    वर्तमान समय की दशा को दर्शाती आपकी यह रचना बहुत ही शानदार

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  4. वाह बेहतरीन लेखन

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  5. बहुत खूब ल‍िखा शरद जी, आंकड़ों में तब्‍दील हुई आबादी को अब आम सतह तक पहुंचने में भी दशकों लग सकते हैं---अद्भुत ल‍िखा

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  6. "...
    दस्तावेज़ों पर शर्णार्थियों की तरह
    जुड़ जाएगा एक और कॉलम
    कोरोना से हुए अनाथों का
    ..."
    ......
    ..........नि:शब्द हूँ..........

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