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06 March, 2021

औरतें | ग़ज़ल | डॉ शरद सिंह

औरतें
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

संस्कृति  की  रक्षा   करें औरतें।
अंधेरा   दिलों  का   हरें  औरतें।

ज़मीं पर सफलता की पर्याय जो
हवा   में    उड़ाने    भरें   औरतें।

मुसीबत  कोई  भी  दिखे सामने
कभी  भी  न  उससे  डरें औरतें।

वे घर और दफ्तर दोनों जगह
साबित  स्वयं  को  करें औरतें।

प्रसवपीर हंस कर हैं सहतीं सदा
जीवन  की  कड़ियां  धरें  औरतें।

जो अंगार बनतीं, खुश हों अगर
तो  फूलों  के  जैसे   झरें औरतें।

मौसम 'शरद' का या गर्मी का हो
मेहनत    हमेशा    करें   औरतें।
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#औरतें #ग़ज़ल #डॉशरदसिंह #अंतर्राष्ट्रीयमहिलासप्ताह

18 comments:

  1. औरत है तो संसार है

    बहुत सुन्दर प्रस्तुति

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    1. हार्दिक धन्यवाद कविता रावत जी 🙏🌹🙏

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    2. संसार तो है ही ! संस्कार,वात्सल्य,प्रेम, मानवता सभी कुछ उसके होने से ही संभव है

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  2. वाह , औरतें ही संभाल सकतीं सब । बहुत सुंदर ग़ज़ल ।

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    1. हृदय से धन्यवाद संगीता स्वरूप जी 🌹🙏🌹

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  3. संस्कृति की रक्षा करें औरतें।
    अंधेरा दिलों का हरें औरतें।

    ज़मीं पर सफलता की पर्याय जो
    हवा में उड़ाने भरें औरतें।

    बहुत अच्छी, स्त्रियों को समर्पित ग़ज़ल
    साधुवाद 🙏

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    1. हार्दिक धन्यवाद वर्षा सिंह दी 🌹🙏🌹

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  4. दिग्विजय अग्रवाल जी,
    "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" मेरी ग़ज़ल को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार एवं धन्यवाद 🌹🙏🌹
    - डॉ शरद सिंह

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  5. नारी सम्मान को उद्घृत करती सुंदर नज़्म..आपको हार्दिक शुभकामनाएं शरद जी ..सादर..

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  6. जो अंगार बनतीं, खुश हों अगर

    तो  फूलों  के  जैसे   झरें औरतें।

    वाह.....

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  7. आपकी इस छोटे-छोटे शेरों वाली ग़ज़ल का हर्फ़-हर्फ़ सच और सिर्फ़ सच है शरद जी ।

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  8. नारी सम्मान में लिखी सुन्दर रचना

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  9. नारी सृष्टि को रचने वाली अनोखी रचना है, बहुत ही सुंदर गजल शरद जी , आपको बहुत बहुत बधाई हो, नमन

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  10. बहुत बहुत सुन्दर गजल

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  11. बहुत सुन्दर मनभावन गजल...
    :-)

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  12. प्रसवपीर हंस कर हैं सहतीं सदा
    जीवन की कड़ियां धरें औरतें।
    जो अंगार बनतीं, खुश हों अगर
    तो फूलों के जैसे झरें औरतें।

    वाह्ह !

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