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05 February, 2021

ज़रा तुम कहो | डॉ (सुश्री) शरद सिंह | ग़ज़ल संग्रह | पतझड़ में भीग रही लड़की

 

Dr (Miss) Sharad Singh

ग़ज़ल

ज़रा तुम कहो

- डॉ (सुश्री) शरद सिंह


जो कहा न किसी ने ज़रा तुम कहो।

क्या  बनोगे मेरा  आसरा, तुम कहो।


मैं  तुम्हें  मान   लूं   प्यार में  नत गगन

और मुझको क्षितिज की धरा तुम कहो।


एक   स्पर्श   होता   है   सावन  भरा

क्या नहीं दिख रहा सब हरा, तुम कहो।


कल से  दिखने लगे इन्द्रधनुषी सपन

नींद में  रंग  किसने  भरा तुम कहो।


एक मरुभूमि  लहरों  में बदली है जो

अब उसे सज्जला,  निर्झरा  तुम कहो।


प्यार में डूब कर जो जिया हो ‘शरद’

वो किसी से भला  कब डरा, तुम कहो।

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(मेरे ग़ज़ल संग्रह 'पतझड़ में भीग रही लड़की' से)


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17 comments:

  1. शब्द-शब्द में प्रबल आकर्ष । अति सुन्दर ।

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    1. हार्दिक धन्यवाद अमृता तन्मय जी 🌹🙏🌹

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  2. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (०५-०२-२०२१) को 'स्वागत करो नव बसंत को' (चर्चा अंक- ३९६९) पर भी होगी।

    आप भी सादर आमंत्रित है।
    --
    अनीता सैनी

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    1. प्रिय अनीता सैनी जी,
      मेरी ग़ज़ल को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए हार्दिक आभार...
      हार्दिक धन्यवाद 🌹🙏🌹
      - डॉ शरद सिंह

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  3. बहुत सुन्दर शानदार रचना..

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    1. हार्दिक धन्यवाद जिज्ञासा सिंह जी 🌹🙏🌹

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  4. वाह ! बेहद खूबसूरत

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद अनीता जी 🌹🙏🌹

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  5. एक मरुभूमि लहरों में बदली है जो

    अब उसे सज्जला, निर्झरा तुम कहो।

    बहुत खूब,सादर नमन शरद जी

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    1. हार्दिक धन्यवाद कामिनी सिन्हा जी 🌹🙏🌹

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  6. बहुत ख़ूब, बहुत ख़ूब शरद जी ! इस ग़ज़ल का तो हर्फ़-हर्फ़ रूमानियत में भीगा हुआ है । इसे पढ़कर मुझे एक फ़िल्मी गीत याद आ गया - 'कुछ तो हुआ है, कुछ हो गया है; दो-चार दिन से लगता है जैसे सब कुछ अलग है, सब कुछ नया है' ।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद जितेन्द्र माथुर जी 🙏🌹🙏
      जीवन नौ रस से ही मिल कर बनता है...

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  7. बहुत सुंदर प्रस्तुति।

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    1. हार्दिक धन्यवाद ज्योति देहलीवाल जी 🌹🙏🌹

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  8. एक स्पर्श और प्यार में डूबना...वाह बहुत खूब ल‍िखा शरद जी, प्रणाम

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  9. वाह! बहुत सुंदर शरद जी ।
    अप्रतिम बंध सुंदर शब्द चयन प्यारी रचना।
    अभिनव ग़ज़ल।

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  10. मैं तुम्हें मान लूं प्यार में नत गगन
    और मुझको क्षितिज की धरा तुम कहो।

    एक स्पर्श होता है सावन भरा
    क्या नहीं दिख रहा सब हरा, तुम कहो।

    एक बेहतरीन कृति। समस्त खूबियों से सुसज्जित। बहुत-बहुत शुभकामनाएँ। ।।।

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