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19 February, 2021

लहरों पर तैरती ऋचायें | डॉ (सुश्री) शरद सिंह | ग़ज़ल संग्रह | पतझड़ में भीग रही लड़की

Dr (Miss) Sharad Singh

ग़ज़ल

लहरों  पर  तैरती  ऋचायें

- डॉ (सुश्री) शरद सिंह


जलपाखी  हृदय  कहां जायेगा?

पोखर के  साथ ही   निभायेगा।


तट का इक पाथर ही तक़िया है

धार-धार  सपने  दिखलायेगा।


ऋषियों का गांव हुआ व्याकुल मन

नित्य  नई  समिधाएं  लायेगा।



हर बीता पल अपनी त्रुटियों को

उंगली की  पोर पर  गिनायेगा।


लहरों  पर  तैरती  ऋचायें जो

हर कोई  बांच  नहीं  पायेगा।


कातरता  भीत  पर उकेरो मत

स्वस्ति-चिन्ह बिखर-बिखर जायेगा।


क्या होगा? कब होगा? प्रश्नों को

सोचो मत,  मनवा  अकुलायेगा।


अनुमोदित पीर है ‘शरद’ की तो

प्रतिवेदन  पढ़ा  नहीं  जायेगा।


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(मेरे ग़ज़ल संग्रह 'पतझड़ में भीग रही लड़की' से)


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6 comments:

  1. जलपाखी हृदय कहां जायेगा?
    पोखर के साथ ही निभायेगा।
    तट का इक पाथर ही तक़िया है
    धार-धार सपने दिखलायेगा।
    ऋषियों का गांव हुआ व्याकुल मन
    नित्य नई समिधाएं लायेगा।

    वाह! बहुत बढ़िया

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    1. हार्दिक धन्यवाद कविता रावत जी 🌹🙏🌹

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  2. लहरों पर तैरती ऋचायें जो

    हर कोई बांच नहीं पायेगा।


    कातरता भीत पर उकेरो मत

    स्वस्ति-चिन्ह बिखर-बिखर जायेगा।

    बहुत खूबसूरती से कितना कुछ कह दिया । बेहतरीन ग़ज़ल ।

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    1. दिली शुक्रिया संगीता स्वरूप जी 🌹🙏🌹

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  3. सुंदर भी । प्रभावी भी । अभिनन्दन शरद जी ।

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